ले लो बस ले लो। बस यही सुन ने को मिलता है आज कल, इतना तक कि मैंने अपने मम्मी का नाम लेलो रख दियाहै अभी। मजा आता है अब, जभ भी मम्मी बोले .. अचार लेलो ..थोडी रोटी लेलो .. जरा और चावल लेलो .. दूध लेलो .. बादाम लेलो .. लड्डू लेलो .. मैं मम्मी को 'लेलो लेलो' कर के चिढाता हु। लेकिन यह सब से न मम्मी का 'लेलो लेलो' रुका है .. न मेरा पेट भड़ना .. बस अब एक ही होप रह गई है .. भागो यहाँ से :) !! एक और बात हुई .. मम्मी कि मेहनत रंग लायी। रोज रोज सर कि चम्पी ने , सही में मेरे बालो कि हालत काफ़ी मस्त कर दी है :) यहाँ तक कि, नए बाल दिख रहे है !! तोह अभी मम्मी को रोज बोलता हूँ .. 'आपकी मेहनत बाल लायी' ..
ये सपने
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इन आठ पहरो में सिमटी ज़िन्दगी से ऐसा रूठा हुआ हूं मैं
के अपने ही सपनों से पीछे हो गया हूं, इतना धीरे चला हूं मैं
ना जाने किन ख्वाबों में ऐसा डूबा हुआ हू...
2 comments:
lolz!!..
"aapki mehnat baal aur pet,dono laayi"
kya likha hai maine yahaan!!?? .. dude thanks for keeping up with my blogs from those days :) :)
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